पैरों में है बेड़ियाँ........
आँखों में है लाखों सपनें
सपनों को पूरा करने की चाहत है
पर रास्तें में बिखरे हैं काँटे
काँटो पर चलनें को तैयार हैं हम
लेकिन काँटो के साथ बिखरे हैं अँगारे
कैसे निकले इस रास्ते से हम...
पँहुचे कैसे अपनी मंजिल तक
अकेला चलना मुश्किल है इस राह पर....
होना होगा साथ हमें ....
आओ बहन, आओ सखी
मिलकर हाथ बढ़ाते हैं....
इस महिला दिवस के अवसर पर
अपनी शक्ति दुनिया को दिखाते हैं।
आँखों में है लाखों सपनें
सपनों को पूरा करने की चाहत है
पर रास्तें में बिखरे हैं काँटे
काँटो पर चलनें को तैयार हैं हम
लेकिन काँटो के साथ बिखरे हैं अँगारे
कैसे निकले इस रास्ते से हम...
पँहुचे कैसे अपनी मंजिल तक
अकेला चलना मुश्किल है इस राह पर....
होना होगा साथ हमें ....
आओ बहन, आओ सखी
मिलकर हाथ बढ़ाते हैं....
इस महिला दिवस के अवसर पर
अपनी शक्ति दुनिया को दिखाते हैं।