
क्या हूँ मैं ..........
मैं भी नहीं जानती
हूँ मैं मोम की गुड़िया
पल में पिघल जाती हूँ...
कभी लगता है....
चट्टान सी हूँ मैं कठोर....
जिसे कोई हिला नहीं सकता..
आखिर क्या हूँ मैं....
मैं भी नही जानती..
दुनिया से लड़ने की ताकत रखती हूँ मैं
कभी दुनिया की कुछ बातों से ही डर जाती हूँ...
चाँदनी की तरह हूँ मैं शीतल या....
सूरज की किरणों की तरह तेज
आखिर क्या हूँ मैं....
मैं भी नही जानती..
मैं भी नहीं जानती
हूँ मैं मोम की गुड़िया
पल में पिघल जाती हूँ...
कभी लगता है....
चट्टान सी हूँ मैं कठोर....
जिसे कोई हिला नहीं सकता..
आखिर क्या हूँ मैं....
मैं भी नही जानती..
दुनिया से लड़ने की ताकत रखती हूँ मैं
कभी दुनिया की कुछ बातों से ही डर जाती हूँ...
चाँदनी की तरह हूँ मैं शीतल या....
सूरज की किरणों की तरह तेज
आखिर क्या हूँ मैं....
मैं भी नही जानती..